Posts

Showing posts with the label karpatri ji maharaj

कौन थे धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज? जानिए 8 पंक्तियों में

Image
कुछ बुद्धिमान जन भगवान हरि(विष्णु) का भजन करते हैं, और कुछ दूसरे संसार तापहारी हर(शंकर) की सेवा करते हैं। किन्तु धर्म की हानि से खिन्न मनवाले हम लोगों की उपासना का पात्र तो हरि और हर का वह अनुपम अद्वैत है, जिसे हमने अपनी आंखों से देखा है। (श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज के संन्यास का नाम श्रीहरिहरानन्द सरस्वती है) ||१|| "क्या उदात्त लोककल्याकारिणी राजनीति में प्रवीण 'विष्णुगुप्त'-- आचार्य चाणक्य, या समस्त शास्त्रों में दक्ष देवगुरु 'बृहस्पति' हैं, या फिर श्रीप्रभु का गुणगान करने स े धन्य हुए 'शुकदेवजी' ही हैं?" जिनके बारे में लोग ऐसा सन्देह किया करते थे -- वे स्वामी करपात्रीजी महाराज वंदना के पात्र हैं ||२|| जिनकी जिह्वा पर नवरसमयी सरस्वती निवास करती थी, लेखों के रूप में जिनकी महान यशोराशि की लेखाएँ आज भी शोभा पा रही हैं, और जिनके हृदय में कमल के मध्यभाग सरीखी मृदुलता थी, वे सर्वभूतहृदय संयमी स्वामी करपात्रीजी किसके स्मरणीय नहीं हैं? ||३|| वंदनीय हैं वे स्वामी करपात्रीजी महाराज जिन मनीषी ने अनेकानेक धर्मसंस्थाओं की स्थापना की, जिन्होंने रामायण...