आधुनिक विज्ञान से भी सिद्ध है पितर श्राद्ध की वैज्ञानिकता

मरने के बाद यह मृतात्मा कहाँ जाती है? इसका विवरण सामवेद के ताण्ड्यमहाब्राह्मण के छान्दोग्य उपनिषद में विस्तार से मिलता है। वहाँ जीव की तीन गति बताई गईं हैं जिसमें से हम चन्द्रलोक गति की बात करेंगे जिसमें पितर का श्राद्ध आवश्यक होता है। हमारे सरे पूर्वज पितर कहलाते हैं। यह सामान्य अनुभूत बात है कि मृतक का स्थूल शरीर कहीं आता जाता नहीं है, प्राण रहित जड़ मृतदेह में कोई गति नहीं होती, और आत्मा तो विभु व्यापक है, व्यापक में भी गति नहीं होती। इसलिए पांच कर्मेन्द्रियों, पांच ज्ञानेन्द्रियों, पांच प्राण, मन और बुद्धि तत्व से बना सूक्ष्म शरीर ही शरीर से निकलकर दूसरे लोकों और जन्मों में जाता है। इन 17 तत्वों में मन ही प्रधान है और वही मन चन्द्रमा की ओर वाहिक शरीर के आकर्षण का कारण है। पर क्यों? विज्ञान का यह नियम है कि सजातीय पदार्थों में आकर्षण होता है। प्रत्येक वस्तु अपने सजातीय घन की ओर जाती है। मिट्टी का ढेला पृथ्वी पर आता है। विज्ञान में प्रत्येक mass का दूसरे mass पर आकर्षण पढ़ाया जाता है। इसी तरह मन चंद्ररूप है, 'चन्द्रमा मनसो जातः (पुरुष सूक्त)' इससे मनप्रधान सूक्ष्म शरीर का उ...