नहीं उतारा मैंने अपना जनेऊ
नहीं उतारा मैंने अपना जनेऊ
इमाम ने बैठाए रखा
चार दिन चार रात
मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
इमाम ने बैठाए रखा
चार दिन चार रात
मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
छह लोगों का मेरा घर आलम्ब है मुझपर ही
भूखे रहे घर पर
मगर मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
मेरे चौसठ साल के बापू ने ढोयीं
अपनी वृत्ताकार पीठ पर उस दिन लकड़ियाँ
मगर मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
भूखे रहे घर पर
मगर मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
मेरे चौसठ साल के बापू ने ढोयीं
अपनी वृत्ताकार पीठ पर उस दिन लकड़ियाँ
मगर मैंने नहीं उतारा अपना जनेऊ
काफ़िर कहकर बिठाए रखा चार दिन चार रात
कहा, 'अपने बाप को गाली दे'
उनने चार गाली दीं
'हिंदी में लिखी अरबी पढ़ कुत्ते'
पढ़ा लिया फातिहा
'उतार अपनी धोती'
नंगा किया।
कहा, 'अपने बाप को गाली दे'
उनने चार गाली दीं
'हिंदी में लिखी अरबी पढ़ कुत्ते'
पढ़ा लिया फातिहा
'उतार अपनी धोती'
नंगा किया।
माफ़ करना मेरे हमधरम भाइयों
मैंने सब किया जो इमाम ने कराया
मेरा भूखा बूढा बाप मेरे दुधमुंहे बच्चों को पाल रहा था घर पर
मैंने सब किया जो इमाम ने कराया
मेरा भूखा बूढा बाप मेरे दुधमुंहे बच्चों को पाल रहा था घर पर
इमाम ने माँगा फिर मेरा जनेऊ
मैं उसके मुंह पर थूक आया
मैं उसके मुंह पर थूक आया
भागा, पीछे से मारी उसने छुरी मेरी पीठ पर
मगर मैंने उतारा नहीं अपना जनेऊ
मगर मैंने उतारा नहीं अपना जनेऊ
- मुदित मित्तल
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