कोर्ट के भी पहले से हिन्दू क्यों मानते हैं गंगा-यमुना को जीवित

कुछ महीने पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने गंगा नदी को देश की पहली जीवित इकाई के रूप में मान्यता दी थीऔर गंगा-यमुना को जीवित मनुष्य के समान अधिकार देने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद भारत की दोनों महत्वपूर्ण नदियों गंगा और यमुना को संविधान की ओर से नागरिकों को मुहैया कराए गए सभी अधिकार दिए गए थे। गौरतलब है कि न्यूजीलैंड ने भी अपनी वांगानुई नदी को एक जीवित संस्था के रूप में मान्यता दी हुई है। यह बहुत ही सराहनीय कदम था कि दोनों पवित्र नदियों को कोर्ट ने जीवित मानकर मनुष्यों के सभी संवैधानिक अधिकार दिए पर यदि हम न्यूजीलैंड से पहले ऐसा करते तो बात ही अलग होती। क्योंकि भारतीय संस्कृति तो गंगा यमुना को माता कहकर मनुष्य और उससे भी ऊपर देवता की कोटि में रखती है, खैर अदालत ने यह फैसला देकर वैदिक संस्कृति का मान बढ़ाया था। परन्तु खेद है कि हिंदुत्व और संस्कृति की रक्षा करने का दंभ भरने वाली उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने ही इस फैसले के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दायर की क्योंकि हिंदुत्व एक चुनाव जीतने का साधन है साध्य नहीं है। खैर हम बात करते हैं कि कैसे वैदिक दृष्टि में गंगा और यमुना जीव...