कैलाश मानसरोवर और राम जन्मभूमि का रिश्ता
वाल्मीकि रामायण के अनुसार कैलाश मानसरोवर और अयोध्या में क्या है रिश्ता?
जानिए क्या है मानसरोवर झील और सरयू नदी की कहानी?
रामायण में एक कथा आती है कि जब श्री राम विश्वामित्र जी के साथ ताड़का वध हेतु जा रहे थे तो रास्ते में गंगा नदी पड़ी। गंगा नदी पार करते समय श्रीराम को दो जलों के टकराने की आवाज आई| उस भयंकर ध्वनि को सुनकर श्रीराम को कौतूहल हो गया| उन्होंने उत्सुकतावश विश्वामित्र जी से पूछा कि, 'ऋषिवर, यह जलों के परस्पर टकराने की आवाज यहाँ क्यों आ रही है?'|
श्री राम का यह प्रश्न सुनकर ऋषि विश्वामित्र बोले, "हे राम! कैलाश पर्वत पर एक बहुत ही सुंदर सरोवर है। वह सरोवर ब्रह्मा जी ने अपने मानसिक संकल्प से प्रकट किया था। मन के द्वारा प्रकट होने के कारण उस सरोवर का नाम 'मानसरोवर' है।
उस सरोवर से एक नदी निकलती है, जो अयोध्यापुरी से सटकर बहती है। ब्रह्मा जी द्वारा प्रकट होने के कारण मानसरोवर को 'ब्रह्मसर' भी कहा जाता है| 'ब्रह्मसर' से निकलने के कारण वह नदी ही 'सरयू' नाम से विख्यात है। उसी सरयू का जल यहाँ गंगा जी में मिल रहा है, दोनों नदियों के जलों के संघर्ष से ही यह भारी तुमुल ध्वनि हो रही है।
हे राम! तुम अपने मन को संयम में रखकर इस संगम के जल को प्रणाम करो।" ऋषि के इस प्रकार कहने पर श्री राम और श्री लक्ष्मण ने गंगा और सरयू के जल को प्रणाम किया|
(वाल्मीकि रामायण, बालकाण्ड, 24वाँ सर्ग, श्लोक 5-11)
क्या कैलाश मानसरोवर से निकलती सरयू नदी-
इससे साबित होता है कि अयोध्या की सरयू नदी कैलाश मानसरोवर से निकलती है| इसलिए अयोध्या और कैलाश मानसरोवर का गहरा रिश्ता है। कुछ लोगों का कहना है कि तीर्थयात्रियों को मानसरोवर भेजने के बाद योगी सरकार को अब उन्हें अयोध्या भेजने की तैयारी करनी चाहिए। मानसरोवर का जल तो अयोध्या में आ ही रहा है, भक्त रामलला के दर्शन के साथ ही सरयू में डुबकी लगाकर मानसरोवर का पुण्य भी कमा लेंगे| अलग से मानसरोवर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आवाज उठ रही है कि योगी आदित्यनाथ जी द्वारा सरयू के इस पार श्रीरामजन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग शीघ्र प्रशस्त होना चाहिए।
- मुदित मित्तल
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